terça-feira, 11 de setembro de 2007

Fantastic Rose


















If you walk away from me

Will you know that I would hope

That it would sure as hell be

Better than everything



And all that I’ve let you see

Now tell your mom I said hello

Tell her sorry that I ever let you go

Far from the life you knew

And all that I put you through

But don’t let the time that you knew

Break you like you broke me

Now that you’re free


Chorus:


Rose… you’re fantastic
You know
If it can’t last you will always be the one

Who knows you…

Always be my rose

Fantastic Rose


Remember how it all began

All you had to do was hold my hand

And we’ve been running all this time

It seems…

But what does it really mean?

It seems like a million years


Somehow

Has it all disappeared?

Are you still here?


Chorus

All that I ever could show you was love

And Rose… you taught me how to let go of love

You’ve saved me more than I could tell

Not that I’m desperate but you know just when to cut me


And you do right through the bone

But somehow I’m never alone

Chorus




E se um dia um viajante do tempo chamasse uma menina
para uma fantástica aventura,
numa nave criada desde o início dos tempos,
visistando lugares e épocas jamais sonhadas?
E se um dia essa menina que foi convidada
para essa estranha aventura
se apaixonase pelo viajante
cuja coragem é tamanha
como seu conhecimento?
E se um dia ao viver esse amor impossivel,
um acidente os separasse
além dos limites do poder
do resgate deste viajante imortal?
Esta é história por detrás da musica
Fantastic Rose,
em homenagem a Rose,
a mais extraordinária
e corajosa amiga, paixão e alento
de um dos mais formidáveis
personagem de ficção
imaginado. Doctor Who.

1) मैं चाहता हूँ कि आप यह जानें कि मैं आप लोगों के लिए, लौदीकिया के विश्वासियों और उन सबों के लिए, जिन्होंने मुझे कभी नहीं देखा, कितना कठोर परिश्रम करता रहता हूँ,


2) जिससे वे हिम्मत न हारें, पे्रेम की एकता में बंधे रहें, ज्ञान की परिपूर्णता प्राप्त करें और इस प्रकार ईश्वर के रहस्य के मर्म तक पहुँच जायें।

3) वह रहस्य है मसीह, जिन में प्रज्ञा तथा ज्ञान की सम्पूर्ण निधि निहित है।

4) मैं यह इसलिए कह रहा हूँ कि कोई भ्रामक तर्कों द्वारा आप लोगों को नहीं बहकाये।

5) मैं शरीर से दूर होते हुए भी मन से आप लोगों के साथ हूँ और मुझे यह देख कर आनन्द होता है कि आपका जीवन सुव्यवस्थित और मसीह में आपका विश्वास सुदृढ़ है।

6) आपने ईसा मसीह को प्रभु के रूप में स्वीकार किया है;

7) इसलिए उन्हीं से संयुक्त हो कर जीवन बितायें। उन्हीं से संयुक्त हो कर जीवन बितायें। उन्हीं में आपकी जड़ें गहरी हों और नींव सुदृढ़ हो। आप को जिस विश्वास की शिक्षा प्राप्त हुई है, उसी में दृढ़ बने रहें और आपके हृदयों में धन्यवाद की प्रार्थना उमड़ती रहे।

8) सावधान रहें। कहीं ऐसा न हो कि कोई आप लोगों को ऐसे खोखले और भ्रामक दर्शन-शास्त्र द्वारा बहकाये, जो मनुष्यों की परम्परागत शिक्षा के अनुसार है और मसीह पर नहीं, बल्कि संसार के तत्वों पर आधारित हैं।

9) क्योंकि मसीह में ईश्वरीय तत्व की परिपूर्णता अवतरित हो कर निवास करती है

10) और उन में आप इस परिपूर्णता के सहभागी है। मसीह विश्व के सभी आधिपत्यों और अधिकारों के शीर्ष हैं- सभी मसीह के अधीन हैं।

11) उन्हीं में आप लोगों का ख़तना भी हुआ है। वह ख़तना हाथ से नहीं किया जाता, वह ख़तना मसीह का अर्थात् बपतिस्मा है, जिसके द्वारा पापमय शरीर को उतार कर फेंक दिया जाता है।

12) आप लोग बपतिस्मा के समय मसीह के साथ दफ़नाये गये और उन्हीं के साथ पुनर्जीवित भी किये गये हैं, क्योंकि आप लोगों ने ईश्वर के सामर्थ्य में विश्वास किया, जिसने उन्हें मृतकों में से पुनर्जीवित किया।

13) आप लोग पापों के कारण और अपने स्वभाव के ख़तने के अभाव के कारण मर गये थे। ईश्वर ने आप लोगों को मसीह के साथ पुनर्जीवित किया है और हमारे सब अपराधों को क्षमा किया है।

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